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15 बार फैल होने वाली जज की कहानी |
आज के ब्लॉग में हम आपको 15 बार फैल होने वाली जज की कहानी बताएंगे जिन्होंने जज बनने के लिए बहुत संघर्ष किया था। ताजीन बिन्ते वहीद की कहानी बहुत प्रेरणादायक है इसलिए उनकी कहानी को पूरा पढ़ें।
15 बार फैल होने वाली जज की कहानी - तजीन बिनते वहीद
Tazeen Binte Waheed: हेलो एवरीवन, मेरा नाम तजीन बिनते वहीद है और हाल ही में मैंने दो स्टेट जुडिशरी क्वालीफाई की है - एक में मेरी ऑल इंडिया सेकंड रैंक है वेस्ट बंगाल जुडिशरी में और दूसरी में मेरी ऑल इंडिया 20 रैंक है बिहार जुडिशरी में। यह सफर आसान नहीं था, और हर किसी की तरह मेरी भी एक कहानी है जिसे मैं आज आप सभी के सामने रखना चाहती हूं।
मेरे जीवन की शुरुआत उत्तर प्रदेश के एक छोटे कस्बे, मौदा से हुई। उस समय, लड़कियों की शिक्षा को उतना महत्व नहीं दिया जाता था, और परिवार का मानना था कि 20-21 साल की उम्र में मेरी शादी कर दी जाएगी। मगर मेरी मां, जो खुद बहुत अच्छी खिलाड़ी और पढ़ाई में तेज थीं, ने इस मान्यता को तोड़ा। उनका सपना था कि मैं अपनी राह खुद चुनूं और अपने लिए और समाज के लिए कुछ करूं।
मेरी पढ़ाई का संघर्ष तब शुरू हुआ, जब मेरे पापा कांस्टेबल की पोस्ट पर थे और हम लखनऊ में रहते थे। हालांकि, आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी, लेकिन मेरी मां ने मुझे हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। एक दिन हमें पता चला कि मेरी मां को कैंसर है, और यह जानकर हम सब सदमे में आ गए। इस मुश्किल समय में भी मेरी मां ने मुझे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने कभी भी मेरी पढ़ाई में कोई समझौता नहीं किया, भले ही उन्हें खुद बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।
फिर आया 2019, वह साल जिसने मेरी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। मेरी मां, जो कैंसर से संघर्ष कर रही थीं, इस दुनिया से चली गईं। यह समय मेरे लिए बेहद कठिन था, क्योंकि वह मेरी प्रेरणा, मेरी ताकत और मेरी जिंदगी की वजह थीं। उनके जाने के बाद, मैं डिप्रेशन में चली गई और अपने आप को पूरी तरह से अकेला कर लिया था। मैंने पढ़ाई से एक लंबा ब्रेक लिया, लेकिन फिर भी अपनी मां की याद और उनका सपना मुझे आगे बढ़ने की ताकत देता रहा।
कोरोना के दौरान जॉब्स की स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने सुप्रीम कोर्ट लॉ रिसर्चर का एग्जाम दिया और खुद को साबित किया कि मैं इस क्षेत्र में भी कुछ कर सकती हूं। फिर मैंने जुडिशरी की तैयारी शुरू की, लेकिन पहले कई प्रीलिम्स के बाद भी सफलता नहीं मिल रही थी। कई बार मुझे खुद पर शक होने लगा, लेकिन मेरे छोटे भाई ने मुझे हमेशा हिम्मत दी और मुझे याद दिलाया कि मैं अपनी मां का सपना पूरा करने के लिए लड़ रही हूं।
2023 में मैंने वेस्ट बंगाल जुडिशरी का प्रीलिम्स दिया और उसे क्वालीफाई किया। फिर, जब मैंने बिहार जुडिशरी का प्रीलिम्स भी क्वालीफाई किया, तो मुझे यकीन नहीं हुआ। मेरी मेहनत रंग लाई और मैंने अपनी मां की याद में दो स्टेट जुडिशरी क्वालीफाई की। यह मेरे लिए एक बहुत बड़ी जीत थी, क्योंकि इस यात्रा में जितने भी संघर्ष थे, वे सभी अब वर्थ हो गए थे।
हालांकि, इस खुशी के साथ एक दुख भी था कि मेरी मां मेरे साथ नहीं थीं। उनका सपना मैंने पूरा किया, लेकिन उनके बिना यह सफलता अधूरी थी। इस संघर्ष की कहानी मुझे आज यहां तक पहुंचाने वाली थी, और मैं जानती हूं कि मेरी मां कहीं न कहीं इस सफलता पर गर्व कर रही होंगी।
मेरी कहानी का संदेश यह है कि चाहे जीवन में कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर आपकी मेहनत सच्ची है और आप किसी उच्च उद्देश्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो सफलता एक दिन आपके कदमों में होगी। जोश टॉक्स जैसी प्लेटफॉर्म्स से प्रेरणा लेकर मैं आज यहां हूं, और मैं उम्मीद करती हूं कि मेरी कहानी दूसरों को भी प्रेरित करेगी।
धन्यवाद!